पचमढ़ी के जंगलों में चना बूटी नाम की पत्ती पाई जाती है जिसे मुंह में रखकर अगर कांच भी चबाया जाए तो वह भी गल जाता है। इस चना बूटी के साथ-साथ, सूई नींबू, पत्थरचट्टा, काली मूसली, दारू हल्दी, नागर मोथा, गिलोय जैसी अन्य औषधियां मिलकर एक चूर्ण तैयार किया जाता है, जो किडनी की किसी भी प्रकार की पथरी को जड़ से गला कर पेशाब द्वारा बाहर निकलने में सहायक औषधि है।
निवेदन:
इस चूर्ण के सेवन के बाद पानी की मात्रा अधिक रखें, लगभग चार से पांच गिलास पानी अधिक पिएं। इस दवा के साथ परहेज रेतीले हरी सब्जियां, पालक, टमाटर, या नॉनवेज जैसी चीज बंद रखें, जब तक यह दवा सेवन कर रहे हैं।
सेवन विधि:
कांच के गिलास में लकड़ी या प्लास्टिक के चम्मच से एक चम्मच चूर्ण, पानी में घोलकर, सुबह खाली पेट पिएं।
सावधानी: स्टील का चम्मच या गिलास का उपयोग न करें, लकड़ी या प्लास्टिक के चम्मच का उपयोग करें और चूर्ण को कांच के गिलास या चीनी मिट्टी के कप में ही घोलें।
Vera Duncan –
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