यह चवनप्राश मार्केट के च्यवनप्राश से काफी अधिक शक्तिवर्धक है क्योंकि मार्केट के च्यवनप्राश को मीठा करने के लिए चीनी या गुड़ का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसे हम छोटा मक्खी के शहद से तैयार करते हैं। एवं पचमढ़ी का पहाड़ी शिलाजीत के साथ-साथ ब्राह्मी, अश्वगंधा, सफेद मूसली, काली मूसली, शतावर, मुलेठी, कौंच के बीज, गिलोय आदि ताकत वाली औषधीय का उपयोग करके इस चवनप्राश को तैयार किया जाता है।
यहां के जंगलों में एक प्रकार की दारूहल्दी पाई जाती है, जो फेस ग्लो के लिए काफी अच्छा काम करती है, इस हल्दी के साथ-साथ कई अन्य औषधीय तत्व मिलते हैं, जैसे कि कुलंजन का फल, मुल्तानी मिट्टी, चंदन। इन चीजों से एक पाउडर तैयार होता है, जो चेहरे के लिए बहुत कारगर है।
यह औषधि दमा की समस्याओं को कम समय में खत्म करती है। दमा में होने वाली परेशानियां जैसे खांसी, श्वास ठीक से ना आना, रात में होने वाली खांसी और सीने में जमा हुआ कफ आदि को ठीक करता है।
इस चूर्ण से पुरानी से पुरानी बवासीर पूरी तरीके से ठीक हो जाती है, और फिर इसे दोबारा कभी नहीं बनती क्योंकि यह जड़ से ठीक कर देता है। बवासीर तो ऑपरेशन करके भी ठीक कर लेते हैं लेकिन उससे फिर से हो जाती है, लेकिन इससे जो जड़ से खत्म होती है तो फिर दोबारा नहीं होती।
इस चूर्ण को कामराज, अश्वगंधा, सफेद मूसली, काली मूसली,कोच के बीज, शतावर आदि औषधियों को मिलाकर बनाया जाता है। यह पुरुषों की मैन पावर बढ़ाने के लिए उपयोगी है। यह दवा समय वर्धन और काम उत्तेजना में बहुत कारगर है।
गैस एसिडिटी के लिए हम त्रिफला चूर्ण (आंवला, हरड़, बहेड़ा) का बेस लेकर कई अन्य औषधीय मिलाकर एक चूर्ण तैयार करते हैं, इसका रात में सेवन करने से सुबह तक पेट साफ हो जाता है। यह चूर्ण 30 दोनों का रहता है, लगातार 30 दिनों तक इस चूर्ण का सेवन करने से पाचन तंत्र बहुत मजबूत हो जाता है, जिससे 2 से 3 साल तक ईनो और गैस की टेबलेट जैसी चीज लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
पहाड़ों एवं शिलाओं पर जब धूप पड़ती है, तो पहाड़ों का मिनरल्स एवं विटामिन लिक्विड फॉर्म में बाहर आता है वही शिलाजीत होता है। "शीला" से "जीत" कर बाहर आने वाला पदार्थ शिलाजीत कहलाता है। शिलाजीत को पहाड़ों का पसीना भी कहा जाता है।