जंगलों से आंवला एकत्रित करके, आंवले को धोकर कद्दूकस करके उसमें शहद मिलाकर यह आंवले का मुरब्बा तैयार करते हैं, जो स्वाद में काफी अच्छा होता है और बच्चों को बेहद पसंद आता है।
जंगल से कड़वा चिरायता और हरसिंगार प्राप्त करके इनका काढ़ा बनाया जाता है, जो सभी बीमारियों में लाभदायक है, जैसे जोड़ों का दर्द, हड्डी में बुखार, कमजोरी, एवं बुखार आदि में सहायक है। यह काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अमृत जैसा काम करता है।
पहाड़ों एवं शिलाओं पर जब धूप पड़ती है, तो पहाड़ों का मिनरल्स एवं विटामिन लिक्विड फॉर्म में बाहर आता है वही शिलाजीत होता है। "शीला" से "जीत" कर बाहर आने वाला पदार्थ शिलाजीत कहलाता है। शिलाजीत को पहाड़ों का पसीना भी कहा जाता है।
पचमढ़ी के जंगलों में एक गुड़मार नाम का पत्ता पाया जाता है, इस पत्ते को खाने से 12 घंटे के लिए मीठे का स्वाद नहीं आता है, फिर शक्कर मिट्टी की तरह और चाय गरम पानी की तरह लगती है।
पचमढ़ी में एक प्रकार का सूई नींबू पाया जाता है, जिसका आकार 10 से 12 सेंटीमीटर तक हो जाता है। इस नींबू की विशेषता यह है इसमें साइट्रिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है। यदि इसमें लोहे की कील डाल दी जाए और एक सप्ताह बाद इसे काटा जाए, तो कील गल जाती है। फिर इस नींबू के साथ-साथ कई अन्य जड़ी बूटियां को मिला कर एक पाउडर तैयार किया जाता है, जो एक महीने में 3 से 4 किलो एक्स्ट्रा फैट या वजन कम करने में मदद करता है।
पचमढ़ी के शहद की औषधीय महत्व (medicinal value) काफी अधीक होती है क्योंकि पचमढ़ी में फूल नहीं पाये जाते। यहां की मधुमक्खियां जड़ी-बूटियों (वनस्पतियो) का पराख (रस) लेकर शहद तैयार करती है। इस वजह से ही यहां का शहद स्वाद में मीठे के साथ-साथ हल्का कड़वा और खट्टा लगता है। यहां का शहद जड़ी बूटी के रस से बनता है और पहाड़ पर होता हे इस कारण से ये शहद जंगली शहद भी कहलाता है।
यह चवनप्राश मार्केट के च्यवनप्राश से काफी अधिक शक्तिवर्धक है क्योंकि मार्केट के च्यवनप्राश को मीठा करने के लिए चीनी या गुड़ का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसे हम छोटा मक्खी के शहद से तैयार करते हैं। एवं पचमढ़ी का पहाड़ी शिलाजीत के साथ-साथ ब्राह्मी, अश्वगंधा, सफेद मूसली, काली मूसली, शतावर, मुलेठी, कौंच के बीज, गिलोय आदि ताकत वाली औषधीय का उपयोग करके इस चवनप्राश को तैयार किया जाता है।
अर्जुन की छाल से चूर्ण तैयार किया जाता है, इसमें अर्जुन के साथ-साथ अग्निमथ, श्योनक, पाटला, गम्भारी, गोक्षुर, पुनर्नवा आदि औषधीय मिलाई गई है। यह औषधि हृदय रोग, लिवर, कैंसर, तनाव, कमजोरी आदि में राहत दिलाती है।
इस चूर्ण को कामराज, अश्वगंधा, सफेद मूसली, काली मूसली,कोच के बीज, शतावर आदि औषधियों को मिलाकर बनाया जाता है। यह पुरुषों की मैन पावर बढ़ाने के लिए उपयोगी है। यह दवा समय वर्धन और काम उत्तेजना में बहुत कारगर है।
पचमढ़ी की छोटी मक्खी का शहद की गुणवत्ता अन्य शहद से काफी अधिक होती है यह शहद बहुत कम मात्रा में प्राप्त हो पाता है छोटी मक्खी के छठे से केवल 200 से 300 ग्राम शहद मिल पाता है इस वजह से ही छोटी मक्खी का शहद महंगा भी होता है। परंतु महंगे के साथ-साथ यह काफी खास भी होता है बड़ी मक्खी का शहद की तुलना में 2-3 किलो इस्तेमाल करने पर जितना फायदा मिलेगा उतना केवल छोटी मक्खी के 1 किलो शहद से मिल जाएगा। विशेष रूप से इसे आंखों पर लगाया जाता है, आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए।